खुशखबरी: इस राज्य में खुलेगा कृषि शोध केंद्र, किसानों को होंगे ये लाभ

उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जनपद में कृषि शोध केंद्र निर्माण हो रहा है। इसकी सहायता से गेहूं की नवीन किस्मोें को विकसित करने हेतु बेहद सहयोग मिलेगा। साथ ही विद्यार्थियों को भी नवीन विषयों पर शोध करने का मौका मिलेगा, भारतीय वैज्ञानिक गेंहू, बाजरा एवं मक्का जैसी विभिन्न फसलों की उम्दा किस्मों को विकसित करने में जुटे हुए हैं। कृषि विश्वविद्यालय व शोध केंद्र के वैज्ञानिक भी इस कार्य हेतु समर्पित हैं। वैज्ञानिकों का कहना है, कि किसी भी फसल की नवीन किस्म को विकसित करने का मुख्य उद्देश्य होता है, कि वर्तमान पर्यावरण के हिसाब से उसे निर्मित किया जाये। भूमण्डलीय ऊष्मीकरण समस्त सब्जियों व फलों पर पड़ता है, मौसम चक्र में परिवर्तन हो रहा है, अब मौसम से प्रभावित होने वाली फसलों की नवीन किस्म को निर्मित किया जाता है। उत्तर प्रदेश के लिए यह बड़ी खुशखबरी है, कि यहां कृषि शोध केंद्र निर्मित हो रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में तैयार होगा कृषि शोध केंद्र

उत्तर प्रदेश राज्य के जनपद गोरखपुर में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कृषि एवं प्राकृतिक विज्ञान संस्थान में कन्सोरिटियम आफ इंटरनेशनल एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर (GCIAR) की स्थापना की जाएगी। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल हिस्से में अब तक इस प्रकार का कोई केंद्र उपलब्ध नहीं है। विश्वविद्यालय के अधिकारियों का मुख्य उद्देश्य यह है, कि शोध केंद्र को विकसित कर पूर्वांचल की बड़ी आबादी इससे लाभान्वित होगी। देश के साथ-साथ विदेश मेें भी हाल ही में इस केंद्र के निर्माण हेतु उच्च अधिकारियों से एक बैठक के दौरान सहमति प्राप्त हुई।


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विकसित होंगी इन फसलों की उम्दा प्रजातियाँ

धान, गेंहू, मक्का एवं अन्य फसलों की बेहतरीन प्रजातियों को विकसित करने हेतु गोरखपुर में कृषि शोध केंद्र का निर्माण हो रहा है। विश्वविद्यालयों के सीनियर अधिकारियों ने कहा है, कि इस शोध केंद्र के निर्माण से पूर्वांचल में धान मक्का एवं गेंहू के बीजों की अनेक प्रजातियों में सुधार किया जायेगा। विश्वविद्यालय में अध्ययन करने वाले काबिल विद्यार्थियों को भी कृषि संबंधित अधिकाँश विषयों पर शोध कर पाएँगे।

कौन से गेहूं की दो नवीन किस्म अच्छा उत्पादन देती हैं

मध्य प्रदेश के सागर, इंदौर, नर्मदापुरम एवं जबलपुर अनुसंधान केंद्रों में तीन वर्ष तक शोध किया गया। शोध के उपरांत गेहूं की दो नवीन प्रजातियों १६३४ व १६३६ विकसित की गई हैं। गेंहू १६३४ की फसल की समयावधि ११० दिन एवं १६३६ की समयावधि ११५ दिन की है। दोनों ही शोधीय बीजों की विशेष बात यह है, कि अत्यधिक तापमान होने के बावजूद भी समय से पूर्व तैयार नहीं होते हैं। गेहूं के उत्पादन में भी घटोत्तरी नहीं होगी परंतु शोध अनुसार पता चला है, कि अत्यधिक तापमान की वजह से पुरानी गेंहू की किस्मों के उत्पादन में २० फीसदी गिरावट आयी है। गेहूं की ये दो नई किस्में हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं गुजरात राज्यों में बुवाई हेतु अच्छा है।